अनिल शर्मा
बरेली। चुनावी बिगुल बजने के बाद राजनीति के धुरंधर मतदाताओं को लुभाकर वोट बैंक अपने पाले में लाने की पुरजोर आजमाईश कर रहे हैं वहीं मतदाताओं के मिजाज को भांपने के लिये द संडे व्यूज़ की टीम चौतरफा बयान लेकर अवाम के मिजाज को भांपने की एक कोशिश कर रही है। ये जनता है सब जानती है में टीम ने इटावा, कन्नौज विधान सभा की जनता का क्या मिजाज है,उसे उकेरने की कोशिश कर रही है। बाकी तो जनता ही मालिक है…।
इटावा : मुद्दे तो बहुतेरे हैं पर भारी है परिवारवाद
इटावा जिले की जसवंतनगर सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ है। वर्ष 1980 के बाद से मुलायम परिवार का ही कोई व्यक्ति यहां जीतता रहा है। शिवपाल सिंह यादव यहां से लगातार पांच बार से विधायक हैं। यहां की जनता का कहना है कि बेरोजगारी, छुट्टा जानवर और महंगाई को लेकर खूब चर्चा है। पर, ये मुद्दे परिवार के आगे गौण हो जाते हैं। जो नेता विकास कराएगा, जनता उसके पक्ष में ही मतदान करेगी। वहीं, इटावा विधानसभा क्षेत्र में कानून-व्यवस्था का मुद्दा सबसे अधिक चर्चा में है। स्थानीय स्तर पर छुट्टा जानवरों से हो रही समस्या के साथ महंगाई भी ज्यादातर लोगों की जुबान पर है। डीएपी खाद को लेकर भी लोग मुखर हैं, लेकिन मतदान को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं। जनता ने सपा और भाजपा, दोनों सरकारों का कार्यकाल देखा है। लड़ाई तो भाजपा और सपा में ही है। भरथना (सुरक्षित) सीट त्रिकोणीय मुकाबले में घिरी है।यहां की जनता का कहना है कि सपा के दबदबे वाली इस सीट पर भाजपा और बसपा भी मुकाबले में हैं। यहां कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर लोग मुखर हैं, तो छुट्टा जानवर, सरकारी मशीनरी में भ्रष्टाचार को लेकर थोड़ा गुस्सा भी।
मैनपुरी : कहां है रोजगार ?
सपा संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की कर्मभूमि रही मैनपुरी में मतदाता सभी दलों के विकास कार्यों को परख रहे हैं। परंपरागत वोटर भले ही अपने दल के साथ चला जाए, लेकिन प्रत्याशी के चेहरे व विकास पर मिलने वाला वोट ही निर्णायक साबित होगा। मैनपुरी की सदर विधानसभा सीट के मतदाताओं का अपना अलग ही मिजाज है। चौड़ी-चौड़ी सड़कों और सरकारी भवनों के निर्माण तो सपा सरकार में खूब हुए लेकिन जो होना चाहिए, वह आज तक नहीं हो सका। क्या नहीं हुआ ? चाहिए तो रोजगार…, जब आमदनी नहीं होगी तो सड़कों पर क्या ख्याली जहाज दौड़ाएंगे। राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज हों या फिर पॉलीटेक्निक, सब सपा सरकार में ही बने। इससे शिक्षा सुधरी। यहां के लोग तो पार्टी के नाम पर वोट करते हैं। प्रत्याशी चाहे जो हो, इससे फर्क नहीं पड़ता।
करहल : दल के नाम पर ही यहां मिलेगा वोट
करहल विधानसभा क्षेत्र के घिरोर पहुंचे तो कुछ लोग चुनावी चर्चा में मशगूल मिले। यहां की जनता ने कहा कि भाजपा खूब जोर लगाती है, मगर सपा से पार पाना इस बार भी मुश्किल नजर आ रहा है। शिवपाल-अखिलेश के मिलने से वोट नहीं बिखरेगा। यहां की जनता ने कहा कि यहां ओबीसी मतदाता बहुतायत में हैं। गरीब, किसान और कामगार तबका सरकार की योजनाओं का फायदा तो उठा रहा है, लेकिन दलगत आधार पर बंटा हुआ है। लोगों की बात से साफ हो जाता है कि यहां चुनावी मुकाबला जोरदार होगा।