गांव की गरीब का राज नशा है: पूर्व मंत्री सतीश पाल
नशे की वजह से ही ग्रामीण अंचल में विधवा की संख्या सबसे अधिक है : पूर्व मंत्री सतीश पाल
युवा संकल्प लें: मरना पसंद करुंगा लेकिन नशा नहीं करुंगा
सीएमएस में सांसद कौशल किशोर के कार्यक्रम नशामुक्त आंदोलन में बोले सतीश पाल
संजय पुरबिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के गांवों में सबसे अधिक विधवा क्यों हैं ? एक गरीब हर दिन इतना कमा लेता है कि अपने परिवार का पेट पाल सके,लेकिन ऐसा क्यों नहीं कर पाता? इन सवालों का सिर्फ और सिर्फ एक ही जवाब है-नशा…। नशा चाहें सिगरेट,बीड़ी,मसाला या फिर देशी दारु,व्हीस्की का हो…। जब तक युवा खुद संकल्प नहीं लेगा कि उसे नशा नहीं करना,तब तक देश उन्नति की ओर नहीं बढ़ेगा। यूपी सरकार को विशेष तौर पर ध्यान देने की जरुरत है कि पंचायत चुनाव में प्रत्याशी वोट बैंक के लिये जमकर शराब परोसेंगे,सख्ती बरतने की जरुरत है। ये बातें बसपा सरकार में रहे पूर्व मंत्री सतीश पाल ने सीएमएस, आडिटोरियम में मोहनलाल गंज के सांसद कौशल किशोर द्वारा आयोजित कार्यक्रम नशामुक्त आंदोलन में कही।
श्री पाल ने कहा कि आगामी तीन माह में यूपी में पंचायत चुनाव होने वाला है,जिसमें जमकर शराब बांटी जायेगी। ऐसा हुआ तो न जाने कितने परिवार बर्बाद होंगे। शराब पर रोक लगाने के लिये सरकार को अभी से ही पहल करनी होगी। प्रत्याशियों के साथ-साथ मतदाताओं को संकल्प लेना होगा कि वे शराब को हांथ नहीं लगायेंगे। उन्होंने कहा कि आज समाज की जो दुर्दशा है वो सिर्फ शराब की वजह से है। गांव में गरीबी का राज नशा है। यही वजह है कि नशाखोरी के चक्कर में पडक़र लोग अपनी जान गंवा देते हैं और विधवा की संख्या में इजाफा हो रहा है। श्री पाल ने कहा कि शराब,गांजा,सिगरेट,पान-मसाला का हिसाब लगा लें लोग तो पायेंगे कि उसकी आधी कमाई इसी में चली जाती है। उन्होंने मंच से यह भी कहा कि पहली बार प्रधान बनने के बाद वे भी नशा की गिरफ्त में आकर परिणाम भोग रहा था लेकिन मैंने शराब को हाथ ना लगाने का संकल्प लिया और आज आपके सामने खड़ा हूं। मेरा एक ही नारा है-जमीन और जवान नशामुक्त करना है…