नगर निगम ने डॉ. एम. सी. सक्सेना को दी वार्निंग,12 जनवरी को जमा करो एक करोड़ वर्ना पूरा कैम्पस करेंगे सील…
क्या नगर निगम की वार्निंग से एम. सी. सक्सेना कालेज जमा करेगा हाऊस टैक्स बकाया एक करोड़ रुपये ?
दांव साख पर : देखना है नगर निगम वसूली कर पाती है या फिर सक्सेना जी करेंगे गुमराह ?
द संडे व्यूज़, इंडिया एक्सप्रेस न्यूज डॉटकॉम खबर का असर
संजय पुरबिया
लखनऊ। द संडे व्यूज़ व इंडिया एक्सप्रेस न्यूज डॉटकॉम पर 7 जनवरी का खबर प्रकाशित हुयी जिसके बाद नगर निगम में हडक़म्प मच गया। अपनी पोल खुलते देखकर नगर निगम के अधिकारियों ने अपनी टीम डॉ. एम.सी.सक्सेना कालेज आफ मेडिकल साइंसेज भेजी। टीम ने कालेज के रजिस्टार विकास श्रीवास्तव से मुलाकात की और चेतावनी भरे लहजे में कहा कि आगामी 12 जनवरी तक नगर निगम के खाते में हाऊस टैक्स के बकाये राशि 3 करोड़ में से कम से कम एक करोड़ रुपये जमा करा दें वर्ना पूरे कैम्पस को सील कर दिया जायेगा। नगर निगम के सख्त तेवर देख सक्सेना जी सकते में हैं। देखना है अब वे अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिये बकाये राशि में से एक करोड़ रुपये जमा करते हैं या फिर नगर निगम को अपनी पहुंच से गुमराह करते हैं। देखना यह भी है कि सरकारी धनराशि को डकारने वाले सक्सेना जी पर वाकई शासन में बैठे अफसर सख्त रुख अपनाते हैं या फिर ढुलमुल रवैया अपनाते हैं।
बता दें कि 7 जनवरी को द संडे व्यूज़ ने शीर्षक सरकार, साहेब का हाऊस टैक्स ही 3 करोड़ है बकाया,क्यों नहीं कर रहें वसूली ? से खबर प्रकाशित की गयी थी। खबर का सार यह है कि …राजधानी में डॉ. एम.सी. सक्सेना कॅालेज अॅाफ मेडिकल साइंसेज में हाऊस टैक्स का 3 करोड़ बकाया है। शासन के अफसरों से लेकर नगर आयुक्त,यहां तक की सत्ताधारियों को भी मालूम है कि सक्सेना जी हाऊस टैक्स के नाम पर सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाकर बैठे हैं। नगर निगम की टीम वहां जाती है मुख्य गेट सील कर परिसर के अंदर बनें एम.बी.ए. ब्लॉक के रिसेप्शन को लॉक करने की नौटंकी करते हैं। सवाल यह है कि आखिर करोड़ों रुपये के बकायेदार की सील खोलने की अनुमति नगर आयुक्त देते हैं या फिर सत्ता का दबाव…। बात जो भी सक्सेना जी करोड़ों रुपये डकार जाने की नियत से न्यायालय गये और उन्होंने तर्क रखा कि जिस तरह स्कूलों को हाऊस टैक्स माफ कर दिया जाता है,उसी तरह मेरे कॉलेज का भी हाऊस टैक्स माफ किया जाये लेकिन यहां उनकी एक ना चली। कोर्ट ने आज एम.सी.सक्सेना की उम्मीदों पर पानी फेरते हुये मामला खारिज कर दिया है। अब देखना है एमसीसक्सेना अब कौन सा नया पैंतरा चलते हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यदि आम आदमी एक वर्ष तक हाऊस टैक्स नहीं जमाकर पाता है तो उसके घर को सील करने सहित कुर्की की मुनादी पिटवा दी जाती है,वहीं एम.सी. सक्सेना 3 करोड़ रुपये दबाये बैठे हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है? आखिर इतनी मेहरबानी कौन कर रहा है ? क्या नगर आयुक्त मेहरबान हैं या फिर सत्ता में बैठे ऐसे माननयी जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों की दुहाई तो देते हैं लेकिन पीठ पीछे भ्रस्टाचार को बढ़ावा देने वालों को संरक्षण भी दे रहे हैं…।
लखनऊ में दुबग्गा में जेटा रोड मॉल के निकट बनें डॉ. एम.सी. सक्सेना कॉलेज ऑफ मेडिकल कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस बना है। इसके मालिक एम.सी.सक्सेना पर हाऊस टैक्स का 3 करोड़ रुपये बकाया है,जो लगभग 10 वर्ष से जमा नहीं किया जा रहा है। सत्ता में मजबूत पैठ रखने वाले सक्सेना जी के प्रभाव का ही दम है कि नगर निगम में निचले स्तर के अधिकारी वसूली की रकम मांगने जाते हैं औद दक्षिणा लेकर वापस चले आते हैं। 7 दिसंबर 2020 को जोनल अधिकारी 6 ने डा.एम.सी.सक्सेना कालेज आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्रोलाजी तथा फारर्मेसी को पत्र लिखकर वर्ष 2019-20 तक 30305777 रुपये बकाया धनराशि जमा करने का निर्देश दिया। पत्र में लिखा है कि 2 मई 2019 को आपकी संस्था के लेखाधिकारी कार्यालय को सील गया था जिसे न्यायालय के आदेश,जिसमें निर्देशित किया गया था कि विद्यालय प्रशासन द्वारा 10 लाख रुपये का भुगतान करने के निर्देश के साथ नगर आयुक्त को सुनवायी का पर्याप्त अवसर दिये जाने के बाद प्रकरण का निस्तारण नगर निगम अधिनियम 1959 के अनुसार करते हुये संशोधित मांग प्रेषित करते हुये भुगतान करने का अनुरोध किया गया था,जो कि वित्तीय वर्ष 2020-21 तक का चालू एवं अवशेष सहित देय राशि3,08,05,777 रुपये हो गयी थी परन्तु आप द्वारा 18 सितंबर 20 को 509507 रुपये मात्र भुगतान किया गया है।
पत्र में यह भी लिखा है कि बार-बार नगर निगम द्वारा अनुरोध करने के बाद भी उक्त के अतिरिक्त कोई भी धनराशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मजबूरन नगर निगम को 25 दिसंबर को प्रतिष्ठान स्थित रिसेप्शन को सील करना पड़ा। उस दौरान मौके पर मौजूद विकास सक्सेना द्वारा एक सप्ताह के अंदर धनराशि भुगतान करने का समय मांगा गया था,जिसे इस शर्त के साथ स्वीकार किया गया था कि यदि निर्धारित समय तक भुगतान नहीं किया गया तो मुख्य गेट को सील कर दिया जायेगा। आखिर में यह भी लिखा है कि पत्र मिलने के एक सप्ताह के अंदर बकाया धनराशि 30305777 रुपये का भुगतान नगर निगम के खाता संख्या 35510100083085 आईएफएससी कोड यूटीआईबी 0000355 में आरटीजीएस,डीडी या चेक के माध्यम से हर हाल में जमा कर दें।
इस पत्र के बाद हरकत में आये एमसीसक्सेना 4 जनवरी को कोर्ट की शरण में चले गये। भरोसेमंद सूत्रों ने बताया कि श्री सक्सेना ने तर्क रखा कि जिस तरह हाई स्कूल,इंटरमीडिएट स्कूल चलाने वाले प्रबंधकों को हाऊस टैक्स से मुक्त रखा जाता है,उसी तरह मेरे कॉलेज पर बकाया 3 करोड़ रुपये का भी हाऊस टैक्स से मुक्त कर दिया जाये लेकिन कोर्ट ने इनकी मांग को खारिज कर दिया। बताया जाता है कि नगर निगम की जोनल अधिकारी,कर निर्धारण अधिकारी श्रीमती अंबी बिष्टï के निर्देश पर नगर निगम वालों ने डॉ. एम.सी.सक्सेना कालेज में सील करने के नाम पर परिसर के अंदर बने एमबीए ब्लॉक बी-1 के रिसेप्शन को सील करने की खानापूरी कर चले आये। सीधी बात करें तो श्रीमती अंबी बिष्ट की टीम पूरी तरह से दयावान बनकर गयी और दक्षिणा लेकर वापस चली आयी।
अब आपको बताते हैं नगर निगम के एक कर निर्धारण अधिकारी ने बकाये हाऊस टैक्स पर क्या कहा। अधिकारी के मुताबिक यदि किसी का एक वर्ष में हाऊस टैक्स 50 हजार रुपये बकाया है तो पहले नोटिस भेजते हैं। रकम नहीं जमा करता है तो मकान सील करते हैं और मुनादी तक पिटवाते हैं। मेरा सवाल यह है कि जब 50 हजार रुपये के बकायेदारों पर इतना जुल्म ढाया जाता है तो फिर 3 करोड़ रुपये के बकायेदार एमसी सक्सेना पर इतनी मेहरबानी क्यों? सवाल यह भी है कि इनकी जगह कोई गरीब होता और उसका हजारों रुपये बकाया होता तो नगर निगम के अदने से कर्मचारियों से लेकर आला अधिकारी भूखे शेर की तरह उस पर वसूली की रकम जमा करने के लिये टूट पड़ते हैं,फिर सक्सेना जी पर क्यों नहीं धावा बोल रहे हैं? क्या सक्सेना जी पर नगर आयुक्त की मेहरबानी है? इसका जवाब तो सरकार ही दे सकती है। फिलवक्त इतना ही कहूंगा कि ये योगीराज है,यहां भ्रष्टाचार करने वालों पर सरकार का कोई रहम नहीं है फिर सत्तापक्ष में कौन है जो सरकारी धनराशि हड़पने की मंशा रखने वाले डॉ. एम.सी.सक्सेना कालेज अॅाफ मेडिकल साइंसेज को संरक्षण दे रहा है…