कानपुर रोड ब्रांच के सीएमएस में बच्चों पर स्कूल आने का दबाव डाल रहे हैं टीचर…
‘असहमति’ जताने, फार्म न भरने वाले बच्चों को टीचर ने दी धमकी: 19 को स्कूल में आकर रिपोर्ट करो…
यदि मन में डर नहीं तो फिर बच्चों की सुरक्षा पर लिखित जिम्मेदारी क्यों नहीं ले रही सरकार और स्कूल?
संजय पुरबिया
लखनऊ। देश अभी भी कोरोना संकट के भयानक दौर से गुजर रहा है। बेवजह मौतों का सिलसिला जारी है। डर का आलम यह है कि लोग एक दूसरे से बात करने में भी कतरा रहे हैं। लोग-बाग जितना हो रहा अपने घरों से कम निकल रहे हैैं और आवश्यक कार्य हेतु ही देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों पर पूरी तरह से अमल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री के बोल हैं कि दो गज की दूरी,मास्क लगाये और पूरी तरह से सावधानी बरतें…। इस पर पूरा देश अमल करने की कोशिश कर रहा है। बावजूद, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रबंधकों में इस बात की बेचैनी है कि नियमों को दरकिनार कर किसी तरह से स्कूल खोले। उन्हें इससे कोई मतलब नहीं कि स्कूल आने वाले नौनिहाल जिंदा रहें या मरे…। उन्हें तो बस चाहिये किसी तरह से स्कूल पुराने ढर्रे पर चलने लगे और छप्पडफ़ाड़ कमाई जारी हो..। यहां पर मैं कुछ कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर रहा हूं क्योंकि मेरे भी बच्चे हैं। स्कूल वाले सरकार के कुछ नियमों का पालन तो कर रहे हैं लेकिन अभिभावकों को लिखित रुप से नहीं दे रहे हैं कि यदि बच्चे को कोरोना हो जायेगा तो उसकी सारी जिम्मेदारी उनकी होगी। जबकि केन्द्र सरकार ने स्पष्ट निर्देशित किया है कि कोरोना का खतरनाक दौर चल रहा है लेकिन हमलोगों को धीरे-धीरे अपने आपको व्यवस्थित करना है। सरकार ने स्कूलों के लिये भी लक्ष्मणरेखा खिंच रखी है। साफ तौर पर कहा है कि अभिभावकों की लिखित सहमति से ही बच्चों को स्कूल बुलाया जाये, किसी परिजन पर कोई दबाव ना डाला जाये, क्लासेज ऑनलाइन चलती रहेंगी,यदि कोई बच्चा चाहता है तो वो अपने माता-पिता की लिखित अनुमति से ही स्कूल जा सकता है,अन्यथा नहीं। बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर रखते हुये उत्तर प्रदेश की राजधानी में सीएमएस, कानपुर रोड शाखा, जहां पर टीचर द्वारा किसी ना किसी बहाने से अभिभावकों व बच्चों पर जबरियन दबाव डालकर स्कूल आने के लिये कहा जा रहा है। सीधी बात कहें तो स्कूल की टीचर धमकी दे रही हैं।
सीएमएस में अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने के लिये ऑनलाइन (सहमति फार्म) भरवाया जा रहा है। फार्म में दो कॉलम हैं,(सहमति) व (असहमति) । अधिसंख्य अभिभावकों ने फार्म में (असहमति) कॉलम भरा है। यानि, अभिभावकों के लिये उनके बच्चों की जिंदगी प्यारी है। वे अपने बच्चों को इस भयानक कोरोना काल में स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। फार्म में ये भी लिखा है कि आपका बच्चा यदि कोरोना पॉजीटिव पाया जाता है तो स्कूल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी? मेरा सवाल है कि फिर जिम्मेदारी कौन लेगा? इस कठिन दौर में द संडे व्यूज़ का सवाल सभी माता-पिता से है कि जब सरकार और स्कूल के मालिक बच्चों की जिंदगी की जिम्मेदारी से भाग रहे हैं तो फिर क्या वे अपने जिगर के टुकड़े को स्कूल भेजेंगे? अब आप खुद ही सोचिये कि सरकार और स्कूल मालिकों के मन में कुछ ना कुछ डर बैठा है, तभी तो ये लोग लिखित रुप से जिम्मेदारी नहीं ले रहे हैं? मैं जानता हूं कि हर माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं, कोई ये नहीं चाहेगा कि उनका बच्चा स्कूल जाये और कोरोना की चपेट में आ जाये…। गत् मार्च माह से कोरोना का कहर जारी है और सभी माता-पिता अपने जीगर के टुकड़ों को बचाकर अभी तक घर में रखकर ऑनलाइन पढ़ाई कराते हुये पूरी फीस अदाकर रहे हैं लेकिन अब ? द संडे व्यूज़ का ये भी सवाल है कि यदि कोरोना के साथ ही हमको जीने के बात कही जा रही है तो फिर सरकार या स्कूल मालिक लिखित रुप में जिम्मेदारी लेने से क्यों भाग रहे हैं ? थोड़ी देर के लिये आप कल्पना करिये,यदि दुर्भाग्यवश स्कूल जाने के बाद कोई बच्चा कोरोना पॉजीटिव होने के बाद घर आता है तो वहां कई सदस्य भी इससे प्रभावित होंगे। यानि एक नहीं कई जिंदगी के साथ खिलवाड़ हो सकता है। बहुत से घरों में बुजुर्ग भी रहते हैं। क्या इनकी जिंदगी के संग भी स्कूल प्रबंधन खेलना चाह रहे हैं ? अभी कोरोना को खत्म करने की वैक्सिन भी नहीं आयी है फिर स्कूल खोलने की इतनी जल्दबाजी क्यों है ? आप जाकर उस मां-बाप से पूछिये,जिनके जीगर का टुकड़े को कोरोना ने डस लिया है…।
सीएमएस (सिटी मांटेसरी स्कूल),कानपुर रोड ब्रांच में शिक्षकों द्वारा सरकार के नियमावली की जमकर धज्जियां उड़ायी जा रही है। यहां पर लगभग एक हफ्ते से स्कूल द्वारा ऑन लाइन बच्चों से फार्म भरवाया जा रहा है। फार्म में स्कूल आने के लिये सहमति व असहमति भरवाया जा रहा है। यहां पढऩे वाले अधिसंख्य बच्चों ने फार्म में असहमति कॉलम भरा है। यानि, अधिसंख्य अभिभावक यही चाहते हैं कि उनके बच्चे घर रहकर ही ऑनलाइन पढ़ाई करें क्योंकि सभी बच्चों की सलामती चाहते हैं। लेकिन सीएमएस के इस ब्रांच की महिला शिक्षकों ने मानों प्रधानमंत्री के निर्देशों की तौहीन करने की ठान ली हैं। क्लास टीचर्स द्वारा बच्चों पर दबाव बनाने के साथ ही धमकी दी जा रही हैं कि 19 अक्टूबर सोमवार को आना है,फेस टू फेस क्लास के लिये…। ये बातें बच्चों से स्कूल टीचर अपने मन से कह रही है या फिर यहां की प्रधानाचार्या,उप-प्रधानाचार्या का निर्देश है ? यदि टीचर प्रधानाचार्या या उप-प्रधानाचार्या के निर्देश पर उक्त बातें कह रही है तो सीधा मतलब है कि आदेश ऊपर से आया है। यदि नहीं तो इसे स्पष्टï किया जाये। खास बात तो यह है कि टीचर सभी बच्चों के व्हाटसअप नंबर पर इस तरह की धमकी दे रही हैं और स्कूल आने के लिये कोई ना कोई कारण बता रही हैं। सवाल यह है कि पिछले छह माह से ऑनलाइन क्लासेज चलाया गया वो सब बेकार था ? देखा जाये तो सीएमएस की टीचर बच्चों सहित माता-पिता के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही हैं। यह बताने की जरुरत नहीं कि माता-पिता में सभी वर्ग के लोग आते हैं इनमें माननीय,शिक्षक,नौकरशाह हों या फिर कर्मचारी…।
बहरहाल,सीएमएस के शिक्षकों के इस रवैये सभी अभिभावक आहत हैं। बताया जाता है कि अधिसंख्य बच्चों ने असहमति का फार्म भरा है। वहीं, अभिभावकों का साफ कहना है कि यदि स्कूल इसी तरह से दबाव बनाता रहा और कोई बच्चा कोरोना की चपेट में आ गया तो स्थिति बेहद भयानक होगा। अभिभावकों में इस बात की भी शंका है कि शायद सीएमएस,कानपुर रोड शाखा के शिक्षकों द्वारा अभिभावकों पर दबाव बनाने की जानकारी स्कूल के मालिक को नहीं है। बात जो भी हो,शिक्षकों के इस गैर जिम्मेदार रवैये पर रोक नहीं लगी तो स्कूल की साख खराब होने से कोई नहीं रोक सकता। आपको बता दूं कि मेरे भी बच्चे इसी शाखा में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और मैं अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजूंगा। ये भी हो सकता है कि मुझे या मेरे बच्चों पर स्कूल प्रबंधन द्वारा मानसिक शोषण करने का दबाव डाला जायेगा लेकिन द संडे व्यूज़ हमेशा सच के लिये लड़ाई लड़ता रहा है और सीएमएस द्वारा प्रधानमंत्री के निर्देश को तोडऩे वाले शिक्षकों के साथ भी हर तरह की लड़ाई लड़ता रहंूगा।
शेष…अगले अंक में…