लखनऊ
सांसद सावित्री बाई फुले ने कहा कि मेरा इस्तीफा भाजपा के लिए ताबूत की कील साबित होगा। पार्टी में बहुजन व दलित की आवाज को दबाया जा रहा है। मैं दल का तलवा चाटने नहीं आई। आरक्षण को बचाने व दलित अधिकार के संघर्ष के लिए आई हूं। मेरे लिए आरक्षण महत्वपूर्ण है। आरक्षण बरकरार रहेगा तो सांसद बनने से कोई नहीं रोक सकता।

सांसद सावित्री बाई फुले बीते एक साल से अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं। नमो बुद्धाय जनसेवा समिति के बैनर तले साल भर पूर्व सांसद ने बहराइच से बहुजन समाज के हक और अधिकार के लिए संघर्ष का बिगुल फूंका था। वह अब तक देश के विभिन्न प्रांतों में कई जनसभाएं कर चुकी हैं। पिछले माह सांसद ने छह दिसंबर को लखनऊ की जनसभा में धमाका करने की बात कही थी। गुरुवार को यह सच साबित हुई।
भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने अमर उजाला से बातचीत में कहा कि मेरा इस्तीफा भाजपा के ताबूत की कील साबित होगा। कहा, जब से मैं चुनाव जीती हूं तभी से मेरी आवाज को पार्टी में दबाने की कोशिश की जा रही है। दिल्ली में संविधान की प्रतियां जलायी गयीं।
देश के विभिन्न हिस्सो में बाबा साहब की प्रतिमाएं तोड़ी गईं, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की। लोकसभा में आवाज उठाई तो आवाज को दबा दिया गया। कहा कि बाबा साहब के परिनिर्वाण दिवस के दिन बाबरी मस्जिद तोड़ी गई। सरकार इस दिन जश्न मना रही है।
25 नवंबर को धर्मसभा का आयोजन किया गया। यह सब सिर्फ आरक्षण और दलितों के हित और अधिकार से भटकाने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा में तलवे चाटने नहीं आई। आरक्षण बचाने के लिए आई थी। दलित और पिछड़ों को आरक्षण का संपूर्ण लाभ मिलेगा तो सांसद बनने से कोई रोक नहीं सकता।