इंस्पेक्टर सुबोध और सुमित को एक ही बोर के हथियार से मारी गई गोली!
मुजफ्फरनगर
यूपी के बुलंदशहर में हुई हिंसा में पुलिस की पोल पुलिस द्वारा ही दर्ज कराई गई एफआईआर ही खोल रही है। एफआईआर से साफ है कि उपद्रव के दौरान घिरे पुलिसकर्मियों के पास एके-47 जैसे अत्याधुनिक असलहे और उन्हें चलाने में प्रशिक्षित 18 से अधिक युवा पुलिसकर्मी भी थे। लेकिन उनमें से कोई भी फायरिंग का साहस नहीं कर सका। सिर्फ एक होमगार्ड के ही हवाई फायर किए जाने का उल्लेख है।
स्याना में सोमवार को हुए बवाल के दौरान हथियारों से लैस पुलिस लिखा-पढ़ी में गोली तक चलाने का उल्लेख नहीं कर पाई। उपनिरीक्षक सुभाष चंद्र की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि वह इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के साथ घटनास्थल पर महाव गांव पहुंचे थे। उनके साथ एचसीपी, चार सिपाही, तीन होमगार्ड व एक हेड स्तर का चालक यानी कुल 12 पुलिसकर्मी थे। चिंगरावठी पुलिस चौकी का फोर्स पहले से मौके पर होगा। एफआईआर में सीओ स्याना और एसडीएम स्याना के मौके पर होने का उल्लेख है। सीओ के हमराह दो तीन पुलिसकर्मी भी मौके पर रहे होंगे, जिनमें एक के पास आटोमेटिक हथियार होगा।
एसडीएम का सुरक्षाकर्मी भी मौके पर था। भीड़ द्वारा जमकर पथराव करने, चौकी पर सरकारी वाहनों में आगजनी करने, चौकी के कमरे में जान बचाने को घुसे सीओ स्याना को जलाने की नीयत से आग लगाने, इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को गोली लगने आदि का उल्लेख तो किया गया है लेकिन एके-47, पिस्टल लिए पुलिसकर्मियों द्वारा एक भी गोली चलाने का उल्लेख नहीं किया गया है।
इसके बाद मौके पर सीओ के बुलावे पर शिकारपुर सीओ, औरंगाबाद, बीबीनगर, नरसैना, खानपुर और मुख्यालय से स्वाट टीम के पहुंचने का उल्लेख है। इनके पहुंचने के बाद ही दरवाजा तोड़कर सीओ स्याना को चौकी से निकालने और घायल हुए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को लखावटी सीएचसी पर पहुंचाने का उल्लेख किया गया है। इंस्पेक्टर के गोली लगने और सीओ को चौकी के कमरे होने पर भी चौकी में आग लगाने के बाद भी पुलिसकर्मियों द्वारा आत्मरक्षार्थ फायरिंग नहीं करने से पुलिस की अक्षमता सामने आई है।